वास्ते हज़रत मुराद-ए- नेक नाम       इशक़ अपना दे मुझे रब्बुल इनाम      अपनी उलफ़त से अता कर सोज़ -ओ- साज़    अपने इरफ़ां के सिखा राज़ -ओ- नयाज़    फ़ज़ल-ए- रहमान फ़ज़ल तेरा हर घड़ी दरकार है फ़ज़ल-ए- रहमान फ़ज़ल तेरा हो तो बेड़ा पार है

 

 

हज़रत  मुहम्मद मुराद अली ख़ां रहमता अल्लाह अलैहि 

 

हज़रत-ए-शैख़ जलाल उद्दीन पानी पत्ती

रहमतुह अल्लाह अलैहि

 

आप का इस्म गिरामी मुहम्मद बिन महमूद रहमतुह अल्लाह अलैहि था लेकिन पैरौ मुर्शिद की तरफ़ से जलाल उद्दीन का ख़िताब मिला था।आप का सिलसिला नसब चंद वासतों से हज़रत उसमान ग़नी ओ से जा मिलता है।आप बड़े साहिब करामत बुज़ुर्ग थे ।शरीयत , तरीक़त , हक़ीक़त और मार्फ़त के उलूम में अपना सानी ना रखते थे।खाते पीते घराने में पैदा हुए थे बे दरेग़ पैसा ख़र्च करते थे।

हज़रत-ए-शैख़ शरफ़ उद्दीन बवाली क़लंदर रहमतुह अल्लाह अलैहि आप रहमतुह अल्लाह अलैहि को बहुत अज़ीज़ रखते थे। बचपन ही में वो आप रहमतुह अल्लाह अलैहि को देखने के लिए रोज़ाना आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के घर आया करते थे। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के यतीम होने के बाद आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की परवरिश आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के चचा ने अपने ज़िम्मे लेली। एक दफ़ा हज़रत बवाली क़लंदर रहमतुह अल्लाह अलैहि एक आम गुज़रगाह पर रौनक अफ़रोज़ थे कि आप रहमतुह अल्लाह अलैहि घोड़े पर सवार वहां से गुज़रे। हज़रत बवाली क़लंदर रहमतुह अल्लाह अलैहि ने आप रहमतुह अल्लाह अलैहि को देख कर फ़रमाया कि ऐसा ख़ुशकिसमत घोड़ा और कैसा ख़ुशकिसमत सवार है। ये सुनते ही आप रहमतुह अल्लाह अलैहि पर वज्द की कैफ़ीयत तारी होगई। गिरेबान चाक किया और जंगल की राह ली।चालीस साल आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने इसी तरह सफ़र में गुज़ार दीए। बहुत से दरवेशों से मिले और उनके फ़्यूज़ से मुस्तफ़ीद हुए। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने दो हज भी किए।

जब आप रहमतुह अल्लाह अलैहि सैरो सयाहत से वापिस आए तो हज़रत बवाली क़लंदर रहमतुह अल्लाह अलैहि से बैअत होना चाहते थे मगर बू अली क़लंदर रहमतुह अल्लाह अलैहि फ़रमाते थे कि जल्दी ना करो ठहरो तुम्हारे पैर आने वाले हैं। एक दिन हज़रत शमस उद्दीन तर्क रहमतुह अल्लाह अलैहि अपने हुजरे के दरवाज़े पर रौनक अफ़रोज़ थे। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि लिबास फ़ाखिरा पहने आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के सामने से गुज़रे हज़रत शमस उद्दीन तर्क रहमतुह अल्लाह अलैहि ने फ़रमाया अपनी नेअमत उस लड़के की पेशानी पर ताबां देखता हूँ।यूंही आप की नज़र हज़रत शमस उद्दीन तर्क रहमतुह अल्लाह अलैहि पर पड़ी फ़ौरन बेइख़्तयार हो कर आप के क़दमों में गिर पड़े। हज़रत शमस उद्दीन तर्क रहमतुह अल्लाह अलैहि आप का सर उठाया और कुलाह चरमी जो उस वक़्त आप पहने हुए थे उतार कर अपने हाथ से आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के सर पर रखी और फ़रमाया। मैंने तुझ को ये भी दिया वो भी दिया।ये कह कर आप ने उसी वक़्त आप को अपना मुरीद कर लिया। हज़रत शमस उद्दीन तर्क रहमतुह अल्लाह अलैहि ने उम्रॱएॱ आख़िर में आप को ख़िरक़ा ख़िलाफ़त से नवाज़ा और अपना जांनशीन बनाया।

एक रोज़ हज़रत जलाल उद्दीन कबीर अलावलया-ए-रहमतुह अल्लाह अलैहि कोबनोर कशफ़ हज़रत मख़दूम जहानियां जहां गशत रहमतुह अल्लाह अलैहि की बीमारी का इलम हुआ ।आप बक़ोत रुहानी एक साअत में दिल्ली पहुंचे। जब हज़रत मख़दूम जहानियां जहां गशत रहमतुह अल्लाह अलैहि को हालत नज़ाअ में पाया तो अपनी उम्र के दस साल उन्हें दे दिए और फिर एक साअत में पानीपत वापिस लूट आए।जब मख़दूम जहानियां जहां गशत रहमतुह अल्लाह अलैहि सेहत याब हुए तो सुलतान फ़िरोज़ उद्दीन आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की ख़िदमत में मिज़ाजपुर्सी के लिए हाज़िर हुआ । मख़दूम जहानियां जहां गशत रहमतुह अल्लाह अलैहि ने सुलतान को बताया कि मुझे हज़रत जलाल उद्दीन कबीर अलावलया-ए-रहमतुह अल्लाह अलैहि ने अपनी ज़िंदगी के दस साल दीए हैं वर्ना तो मेरा वक़्त आ पहुंचा था। सुलतान फ़िरोज़ उद्दीन ने जब ये बात सुनी तो इसे आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की ज़यारत का शौक़ हुआ। चुनांचे वो पानीपत आया और आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की ज़यारत से मुशर्रफ़ हुआ।

एक मर्तबा हज़रत जलाल उद्दीन कबीर अलावलया-ए-रहमतुह अल्लाह अलैहि एक गांव से गुज़रे तो देखा कि लोग अपना सामान उठाए हुए जा रहे हैं। हज़रत जलाल उद्दीन कबीर अलावलया-ए-रहमतुह अल्लाह अलैहि ने वजह पूछी तो लोगों ने बताया कि गांव में झाला बारी की वजह से फ़सल ख़राब होगई है लगान अदा करने से क़ासिर हैं हाकिम सख़्त है। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने फ़रमाया इस गांव को हमारे हाथ फ़रोख़त क्रुद्व और इस का नाम जलालाबाद रख दो तो तुम्हारा लगान भी अदा होजाएगा और तुम्हें अच्छी ख़ासी रक़म भी बच जाएगी। वो लोग राज़ी होगए।

आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने उन लोगों से लोहा और लक्कड़ी मंगवाई और उन से कहा कि इस लक्कड़ी को जलाओ और इस में लोहे के टुकड़े डाल दो। हज़रत जलाल उद्दीन कबीर अलावलया-ए-रहमतुह अल्लाह अलैहि ने लोगों से कहा कि आप लोग घर चले जाएं और सुबह आकर उसे देखें कि क्या हुआहै चुनांचे वो लोग अपने अपने घरों को चले गए। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि भी उस रात इस गांव से चले गए। सुबह को जब गांव वाले वहां वापिस आए तो वो ये देख कर सख़्त हैरत में मुबतला हुए कि सारा लोहा सोने में तबदील होचुका था। उन्हों ने लगान अदा किया और बाक़ी रुपया अपने ख़र्च में लाए। लोगों ने फिर इस गांव का नाम जलालाबाद रख दिया।

एक दिन आप रहमतुह अल्लाह अलैहि दरिया के किनारे तशरीफ़ ले गए वहां एक जोगी आँखें बंद किए बैठा था। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के वहां पहुंचने पर जोगी ने आँखें खोलीं और आप रहमतुह अल्लाह अलैहि को संग पार्स दिया। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने इस पत्थर को दरिया में फेंक दिया जोगी ख़फ़ा हुआ। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने जोगी से फ़रमाया कि दरिया में जाकर अपना पत्थर ले आए लेकिन इस के इलावा और कोई पत्थर ना ले। जब जोगी दरिया में गया तो इस ने वहां हज़ारों इस किस्म के पत्थर पाए। इस ने अपने पत्थर के इलावा एक और पत्थर उठाया और बाहर आया। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने इस से फ़रमाया कि वो दूसरा पत्थर क्यों छुपा कर लाया। इस ने दोनों पत्थर आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के सामने रख दीए और आप रहमतुह अल्लाह अलैहि का मुरीद हुआ।

एक दिन हज़रत जलाल उद्दीन कबीर अलावलया-ए-रहमतुह अल्लाह अलैहि कहीं जा रहे थे कि एक ज़ईफ़ औरत सर पर पानी का घड़ा रखे जा रही थी। इस के पांव काँप रहे थे आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने पूछा क्या आप का कोई और आदमी पानी नहीं ला सकता कहने लगी में बेकस और बेसहारा हूँ। हज़रत ने पानी का घड़ा उठाया और अपने कंधे पर रख कर चलने लगे और इस के घर पहुंचे। घड़ा रख कर फ़रमाया आज के बाद इनशाअललह ये घड़ा पानी से भरा रहेगा तुम्हें पानी लाने के लिए कहीं जाने की ज़रूरत नहीं होगी। वो ज़ईफ़ औरत उस घड़े से पानी इस्तिमाल करती रही मगर पानी कभी कम ना हुआ।

आप रहमतुह अल्लाह अलैहि साहिब करामत बुज़ुर्ग थे। जब हज़रत जमाल उद्दीन हानसवी ने हज़रत अलाओ उद्दीन साबिर कुलेरी रहमतुह अल्लाह अलैहि की सनद चाक कर दी और फ़रमाया तुम्हारे दम मारने की ताब दिल्ली में कहाँ तुम तो एक दम मारते ही दिल्ली को जिला कर ख़ाक कर दोगे जवाबन हज़रत मख़दूम अलाओ उद्दीन साबिर कुलेरी रहमतुह अल्लाह अलैहि ने हालत जलाल में फ़र्मा या कि आप ने मेरी सनद ख़िलाफ़त चाक की है मैंने आप का सिलसिला चाक कर दिया। हज़रत जमाल उद्दीन हानसवी रहमतुह अल्लाह अलैहि कावा सिलसिला अभी तक बंद था लेकिन आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की दुआ से उन का सिलसिला दुबारा से जारी होगया।

हज़रत जलाल उद्दीन महमूद कबीर अलावलया-ए-रहमतुह अल्लाह अलैहि वज्द-ओ-समाव में मशग़ूल रहते थे। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की दुआ कभी नामंज़ूर ना होती थी। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की ज़बान मुबारक से जो भी निकल जाता पूरा होता था। उम्र के आख़िरी हिस्सा में आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के ऊपर इस्तिग़राक़ का ये आलम था कि नमाज़ के वक़्त आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के कान में तीन मर्तबा हक़ हक़ कहा जाता फिर आप रहमतुह अल्लाह अलैहि होश में आते और नमाज़ अदा करते नमाज़ से फ़ारिग़ होकर आप रहमतुह अल्लाह अलैहि दुबारा फिर मराक़बे में चले जाते।

आप रहमतुह अल्लाह अलैहि १३ रबी उलअव्वल ७६५हिज्री को इस दार फ़ानी से रुख़स्त हुए। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि का मज़ार शरीफ़ पानीपत में ज़यारत गाह ख़ास वाम है।